मैंने किसी को देखा दूसरों के लिए जीते हुए।
- Guest Writer
- Jul 12
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Updated: Jul 16
अख़बार। अक्सर हम अख़बार ख़बरे पढ़ने के लिए इस्तेमाल करते है मगर हमारे देश के कुछ क्रान्तिकारी इसे विश्राम के लिए भी इस्तेमाल करतें हैं।
आज हम आपको एक ऐसी ही क्रन्तिकारी महिला से रूबरू करवातें है जिनका नाम है सिस्टर डोरोथी फर्नांडिस।
जो अपनी जन सेवा के शुरुआती दौर में स्टेशन पर अखबार बिछाकर सोती थीं। उस समय उनके पास कोई घर, संसाधन या टीम नहीं था।
वह हमेशा कहती है- "हम उनके लिए काम नहीं करते, हम उनके साथ काम करते हैं"। यही उनका सिद्धांत है।
क्योंकि एकता से ही नए भविष्य की शुरुआत होती है।
उनका दफ़्तर पटना में अशोक राजपथ के किनारे एक पतली, भीड़-भाड़ वाली गली में है - ऐसी जगह पर जहां लोगों को यह महसूस भी नहीं होता होगा कि वह कितना महत्वपूर्ण कार्य हो रहा होगा। मगर सच यही है।
वह दफ्तर दिखने में बिल्कुल घर जैसा है। टूटी-फूटी सिलन वाली साधारण दीवारें और उसी में उनका एक छोटा सा केबिन। जहां बैठकर वह लोगों की समस्याएं सुनती हैं। टीम के साथ मिलकर काम करने की योजना बनाती हैं।
सिस्टर की टीम के लोग भी उनकी तरह ही कमज़ोर लोगों से दया-भाव और सहानुभूति रखते हैं। राजेश कुमार उनके सहायक के रूप में पिछले 22 वर्षों से 17 साल की उम्र से गरीब लोगों के लिए निस्वार्थ सेवा प्रदान कर रहे हैं।
सिस्टर 15 जून 1997 में पटना आई। और उन्होंने "जन कल्याण ग्रामीण विकास समिति" नामक एक संस्थान कि स्थापना की। यह एक प्रकार का NGO है जो लोगों के हित के लिए काम करता है।
पहले, वह एक शिक्षिका के रूप में गाँव में काम करती थी जहाँ बच्चों ने कभी स्कूल के अंदर कदम नहीं रखा था। फिर वह शहर चली आई यहां उन्हें ऐसे-ऐसे गरीब लोग मिले जिनको उनकी जरूरत थी।
बिना घरों के लोग, फुटपाथों पर, नीले तिरपाल और लकड़ियों से बने अस्थायी आश्रयों में, बिना पहचान, बिना नाम के लोग जिन्हें सच में अंधेरे से निकलने के लिए रोशनी की जरूरत थी। सिस्टर डोरोथी उनके जीवन में रोशनी बन कर आई।
सबसे पहले सिस्टर की संस्था ने गरीब लोगों को आश्रय प्रदान किया, जिसका अधिकार हर व्यक्ति को है। उन्होंने 2005 में अलग-अलग 64 शहरों में गरीब लोगों को आश्रय प्रदान किया।

संस्था मुख्य तीन तथ्यों पर काम करती है।
आश्रय अभियान- जहां बेसहारा बेघर लोगों को आश्रय दिया जाता है।
श्रम विभाग- जहां मजदूरों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।
विक्रेता विभाग- जहां लोगो को सशक्त और निर्भर होकर अपना काम करना सिखाया जाता है।
साथ ही उनकी संस्था लोगों को योजनाओं से जोड़ती है और सरकारी गतिविधियों के बारे में शिक्षा प्रदान करती है।
"जन कल्याण ग्रामीण विकास समिति" में कुल अभी 7 क्षेत्र चल रहा है जिसमें महिला सशक्तिकरण के लिए काम किया जा रहा है। इसके तहत 9 महीने का प्रशिक्षण चलाया जाता है जिसमें महिलाओं को 24 प्रकार के कौशल सिखाए जातें है। जैसे- सिलाई, कृषि, खाना बनाना आदि।
इससे कम पढ़ी-लिखी महिलाओं को भी उचित काम मिलता है। साथ ही इस संस्था ने मजदूरों को पंजीकरण करने का तरीका भी बताया।
सिस्टर ने बिहार सरकार के खिलाफ कई बार आंदोलन किया जिससे लोगों को आश्रय मिल सके। और उनकी इस दयालुता को देखकर कई लोगों ने उनके साथ दिया।
उन्होंने आंदोलन की शुरुआत गांधी मैदान में की, जिसमें उन्होंने 48 घंटे तक सिर्फ नींबू पानी पीकर लोगों के लिए आवाज़ उठाई। उनका निभाने के लिए सारे गरीब लोग धरना पर बैठ गए थे।
उनकी टीम पटना नगर निगम से जगह के लिए आवेदन करने में स्ट्रीट वेंडरों की मदद करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि दीन लोगों को बार-बार फुटपाथ पर न धकेला जाए, उन्हें रहने लायक घर दिया जाए।
जब भी कोई वेतन विवाद होता है या कोई चोटिल हो जाता है तो वे श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों के साथ खड़े होते हैं। वे उनके साथ जाते हैं, ठेकेदारों से बात करते हैं, सुनिश्चित करते हैं कि आगे ऐसी कोई समस्या उत्पन्न न हो।

वे पुरानी झोपड़ियो में लड़कियों को सिलाई का काम सिखाते हैं, यह एक तरह की क्लास है। जो उन लड़कियों को हर रूप से सशक्त बनाते हैं, न केवल एक कौशल के रूप में, बल्कि भविष्य की कल्पना करने के तरीके के रूप में। ताकि उन लड़कियों के पास अपनी कमाई हुई कोई पूंजी हो।
इस संस्था का यही उद्देश्य है कि कम पढ़े-लिखे लोगों को शिक्षा, अकुशल लोगों को कौशल, बेघर लोगों को घर, श्रमिकों को सही मजदूरी, और स्त्रियों को सशक्तिकरण प्रदान किया जाए।
This article is written by Tanisha Kumari लेखिका: तनिशा कुमारी
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